BSSC पेपर लीक मामले में केस दर्ज: किसीसेंटर से पेपर आउट होने का शक; छात्र नेता बोले- बिहार के पेपर बाहरी एजेंसी क्यों छापे

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बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (BSSC) के पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने FIR दर्ज कर ली है। सूत्रों अनुसार इस केस को आर्थिक अपराध इकाई ने एग्जाम के स्टैटिक मजिस्ट्रेट के बयान पर दर्ज किया है। शुक्रवार की देर रात इस स्पेशल टीम ने दो जगहों पर छापेमारी भी की है। सूत्रों का दावा है कि काफी हद तक इस मामले में EOU की स्पेशल टीम को लीड मिल चुकी है।

BSSC का एग्जाम शुक्रवार को दो पालियों में थी। पहली पाली सुबह 10:15 बजे से शुरू हुई थी, जिसे दोपहर 12:15 बजे तक चलना था। लेकिन, एग्जाम शुरू होने के महज 45 मिनट के अंदर ही इसका पेपर लीक हो गया।

सूत्रों के अनुसार BSSC ऑफिस आए बगैर ही क्वेश्चन पेपर सीधे एग्जामिनेशन सेंटर जाता है। जो एक, दो नहीं, बल्कि पूरे 5 लेयर में पैक होती है। इसलिए जांच टीम को शक है कि BSSC एग्जाम का यह क्वेश्चन पेपर किसी एग्जामिनेशन सेंटर से ही लीक हुआ है।

छात्र नेता दिलीप कुमार ने भास्कर के पास BSSC तृतीय स्नातक परीक्षा प्रश्न पत्र के पन्ने शुक्रवार को पहली शिफ्ट की परीक्षा खत्म होने से पहले भेजे थे। भास्कर इस खबर को सामने लेकर आया। यह सिद्ध हो गया कि दिलीप के पास जो प्रश्न पत्र थे, वही परीक्षा में पूछे गए थे।
दिलीप ने बीपीएससी 67वीं पीटी का प्रश्नपत्र तब सामने लाए थे, जब परीक्षा चल रही थी। आखिरकार वह परीक्षा सभी केन्द्रों पर रद्द करनी पड़ी थी और फिर से परीक्षा लेनी पड़ी। उस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। भास्कर ने दिलीप कुमार से इस मुद्दे पर विस्तार से बात की

सवाल - आपको BSSC के प्रश्नपत्र की कॉपी कहां से

मिली?

जवाब - हमें वॉट्सऐप पर 10 बजकर 53 मिनट पर आई थी। 10 बजे से परीक्षा शुरू थी। यह परीक्षा 12 बजकर 15 मिनट तक होनी थी।

सवाल - आपने हमारे अलावा सरकार को भी इसकी कॉपी भेजी ?

जवाब - हां, इसे मैंने आर्थिक अपराध इकाई को भेजी। सीएमओ को भी भेज रहे थे, लेकिन मेल सेंड नहीं हो पाया। सरकार की साइबर सेल को मिल गया। हम उम्मीद करते हैं कि इसकी जांच होगी, लेकिन हम सीबीआई जांच की मांग करते हैं।

सवाल - इस तरह से प्रश्नपत्र लीक क्यों नहीं रुक पा रहा

है?
जवाब - बिहार में एक बड़ी फैक्ट्री लग गई है। धांधली सेटिंग की फैक्ट्री । जो दिखती कहीं नहीं है, लेकिन हर जगह है। ये नौकरियों में सेंध लगाते हैं, बोली लगाते हैं। पैसे पर नौकरी दी जाती है।

सवाल - इसकी जानकारी क्या अफसरों या सरकार को नहीं है?

जवाब - सभी को इसकी जानकारी है। बीपीएससी प्रश्न पत्र का मामला तो मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी भेज दिया था। उसके बाद जब जांच बीपीएससी ऑफिस तक पहुंची तो क्यों रोक दी गई? ओएमआर शीट बाहर भेजकर रंगवायी गई या जो मेंस की कॉपियां बाहर लिखवायी गईं, तो वे कौन लोग थे जिन्होंने ये काम किया या करवाया ?

सवाल - इस मामले में तो कई गिरफ्तारियां हुई हैं?

जवाब - लेकिन बीपीएससी ऑफिस के अंदर के कितने लोगों पर कार्रवाई हुई? बीपीएससी ऑफिस के अंदर से कैसे कॉपी बाहर गई। कोई तो अधिकारी या कर्मचारी होगा। जब तक सभी शिक्षा माफिया चाहे वह नेता या आईएएस क्यों नहीं हो, कार्रवाई नहीं होगी यह जारी रहेगी। शिक्षा माफिया का गिरोह फैल गया है पूरे बिहार में।

सवाल - आयोग अपने स्तर से गड़बड़ी रोकने की कार्यवाही कर रहा है, पर यह रुक नहीं रहा?
जवाब - हम दो माह पहले भी बीएसएससी गए थे। अध्यक्ष से मिलना चाहते थे। हम उनसे मिल कर कई जानकारी देना चाहते थे कि तृतीय स्नातक की परीक्षा को लेकर किस तरह की गड़बड़ियां हो रही हैं। लेकिन वे मिलना ही नहीं चाहते हैं। दो-दो घंटे इंतजार के बाद भी वे नहीं मिलते हैं। जैसे हम कोई आतंकवादी हैं!

सवाल - क्यों नहीं मिलते, वे तो खुद पुलिस के बड़े अफसर (DG) रह चुके हैं?

जवाब - उनको मिलना चाहिए। लेकिन नहीं मिलते। जब वे नहीं मिले तो हमने कागज पर लिखकर उनको ज्ञापन सौंपा। उसमें हमने एक एजेंसी का भी जिक्र किया था जो प्रश्न छापती है। हमने मिली जानकारी अनुसार उस एजेंसी के बारे में बता दिया था कि प्रश्न पत्र लीक में लगी है।

सवाल - बड़े आयोग जो परीक्षाएं ले रहे हैं उसके ओएमआर शीट की जांच प्राइवेट एजेंसियों से करवाते हैं, खुद की व्यवस्था डेवलप नहीं करनी चाहिए?

जवाब - सरकार को अपना तंत्र विकसित करना चाहिए। जहां प्रश्न छपे, आंसर की जांच हो। प्राइवेट एजेंसियों की वजह से गड़बड़ियां ज्यादा हो रही हैं। झारखंड में भी सचिवालय का पेपर लीक हुआ था। उसमें बिन्सिस नामक की कंपनी थी। कई लोगों ने जानकारी दी थी कि इसी को
सचिवालय की परीक्षा का प्रश्न पत्र छापने की जिम्मेदारी दी गई थी। अब यह बीएसएससी ही बता सकता है कि किसको प्रश्न पत्र छापने की जिम्मेदारी दी थी। हमने बहुत सारे लोगों का नाम और मोबाइल नंबर बीएसएससी और आर्थिक अपराध इकाई को दिया था।

सवाल - बीएसएससी इस परीक्षा को रद्द करेगा?

जवाब - देखिए, परीक्षा रद्द करना समाधान नहीं है। बीपीएससी प्रश्न पत्र का मामला हमने सामने लाया था। परीक्षा कैंसिल हुई। लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ। परीक्षा ठीक से ली गई लेकिन रिजल्ट में गड़बड़ी कर दी गई !

सवाल - अब तो तेजस्वी यादव भी सरकार में हैं। उपमुख्यमंत्री हैं। युवाओं की नौकरी, उनका बड़ा एजेंडा

जवाब - 8 मई को तेजस्वी यादव ने कहा था- बीपीएससी का नाम ' बिहार लीक सेवा आयोग' होना चाहिए। अब उनको बताना चाहिए कि बीएसएससी का नाम क्या होना चाहिए। अब तो कार्रवाई करनी चाहिए। बोलने से नहीं होगा। अब तो वे सरकार में हैं। हम तो तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार से मांग करते हैं कि 67वीं बीपीएससी पीटी और बीएसएससी तृतीय स्नातक परीक्षा की सीबीआई जांच होनी चाहिए।जो भी इसमें संलिप्त हो, चाहे वह कितना बड़ा नेता या अफसर या कर्मचारी हो, उसकी संपत्ति जब्त हो, कानूनी कार्रवाई हो। कानून बनवाइए कि जो संलिप्त हो उसकी सभी संपत्ति जब्त हो, दस साल की सजा हो। कोई अभ्यर्थी इसमें संलिप्त हो तो 10 साल तक उसे सरकारी आवेदन भरने पर रोक लगा दी जाए।

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